JAC 12th Economics Model Paper Answer 2025: Jharkhand Academic Council (JAC) has released the class 12th Economics model paper 2025. JAC class 12th Economics model paper 2025 contains the format of questions coming in the board exam 2025, which makes it easier for the students to prepare for the exam. Therefore, our team has prepared the answer of JAC class 12th Economics model paper 2025 which is based on the question bank released by JAC. You can download JAC class 12th Economics model paper answer 2025 PDF in jacupdate.in website. JAC class 12th Economics model paper answer 2025 PDF download link is given below, which you can easily download.
Post | JAC 12th Economics Model Paper Answer 2025 |
Board | Jharkhand Academic Council |
Name Of Exam | Jharkhand 12th Board Examination 2025 |
Session | 2025 |
Date Of Exam | 11 February 2025 |
Model Paper Publication Date | 03 January 2025 |
Subject | Economics (Class 12th) |
Official Website | J.A.C. |
JAC 12th Economics Model Paper Answer 2025
Objective Question (1 to 30)
1. उत्पादन संभावना का वक्र का ढाल गिरता है-
(a) बाएं से दाएं
(b) दाएं से बाएं
(c) नीचे से ऊपर
(d) ऊपर से नीचे
Ans:- (a) बाएं से दाएं
2. सीमांत उपयोगिता को ज्ञात किया जा सकता है-
(a) ATU/AQ
(b) AMU/ AQ
(c) AQ/ AMU
(d) AQ/ ATU
Ans:- (a) ATU/AQ
3. नीचे दिए रेखा चित्र में मांग की लोच है?
(a) अधिक लोचदार
(b) इकाई लोचदार
(c) कम लोचदार
(d) पूर्ण लोचदार
Ans:- (b) इकाई लोचदार
4. आगत को निर्गत में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है?
(a) उपभोग
(b) उत्पादन
(c) निवेश
(d) विनिमय
Ans:- (b) उत्पादन
5. किसी परिवर्ती साधन (L) का औसत उत्पादन ज्ञात करने का सूत्र क्या होता है?
(a) Q/L
(b) L/Q
(c) Q+L
(d) a तथा b दोनों
Ans:- (a) Q/L
6. पूर्ति के नियम को निम्नलिखित में कौन-सा फलन प्रदर्शित करता है?
(a) S=f(p)
(b) S=f(1/p)
(c) S=f(Q)
(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)
Ans:- (a) S=f(p)
7. निम्नलिखित में किसने कीमत निर्धारण प्रक्रिया में समय तत्व का विचार प्रस्तुत किया?
(a) रिकार्डो
(b) वालरस
(c) मार्शल
(d) जे.के. मेहता
Ans:- (c) मार्शल
8. एकाधिकारी मूल्य विभेद की महत्वपूर्ण शर्त क्या है?
(a) बाजार का पृथक होना
(b) क्रय शक्ति में भिन्नता
(c) मांग की लोच में भिन्नता
(d) उपर्युक्त सभी
Ans:- (d) उपर्युक्त सभी
9. प्रतिस्पर्धा रहित बाजार में मांग वक्र होता है-
(a) सीमांत आगम वक्र
(b) कुल आगम वक्र
(c) औसत आगम वक्र
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Ans:- (c) औसत आगम वक्र
10. ‘द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
(a) पीगू
(b) माल्थस
(c) जे. एम. कीन्स
(d) रिकार्डो
Ans:- (b) माल्थस
11. किसी देश में एक दिए हुए वर्ष में उत्पादन के साधनों के द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तु एवं सेवाओं के बाजार मूल्य को क्या कहा जाता है?
(a) सकल घरेलू उत्पाद
(b) शुद्ध घरेलू उत्पाद
(c) राष्ट्रीय आय
(d) व्यक्तिगत आय
Ans:- (a) सकल घरेलू उत्पाद
12. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना कब हुई?
(a) 1947
(b) 1935
(c) 1937
(d) 1945
Ans:- (b) 1935
13. एक खुली अर्थव्यवस्था में सामूहिक मॉग के निम्न में से कौन से तत्व हैं?
(a) उपभोग
(b) निवेश
(c) सरकारी व्यय एवं शुद्ध निर्यात
(d) उपरोक्त सभी
Ans:- (d) उपरोक्त सभी
14. निम्नलिखित में से वास्तविक निवेश कौन है?
(a) शेयर खरीदना
(b) पुरानी फैक्ट्री खरीदना
(c) भवनों का निर्माण
(d) बैंक में जमा खाता खोलना
Ans:- (c) भवनों का निर्माण
15. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद का सम्बन्ध बजट से है?
(a) अनुच्छेद 108 (Article – 108)
(b) अनुच्छेद-356 (Article – 356)
(c) अनुच्छेद 248 (Article – 248)
(d) अनुच्छेद 112 (Article – 112)
Ans:- (d) अनुच्छेद 112 (Article – 112)
16. दीर्घकाल में एक पूर्णप्रतियोगी फर्म उत्पादन बंद कर देगा, यदि
(a) P>MC
(b) P>AC
(c) P=AC
(d) P<AC
Ans:- (d) P<AC
17. प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत निम्न में से किसे शामिल किया जाता है?
(a) उपहार कर (gift tax)
(b) आय कर (Income Tax)
(c) बिक्री कर (sales tax)
(d) a एवं b दोनों (Both a & b)
Ans:- (d) a एवं b दोनों (Both a & b)
18. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना कब हुई?
(a) 1944
(b) 1951
(c) 1975
(d) 1861
Ans:- (d) 1861
19. निम्न में से किस परिस्थिति में मुद्रा की पूर्ति में कमी हो सकती है?
(a) बैंक दर में कमी
(b) नगद आरक्षित अनुपात में वृद्धि
(c) आर.बी.आई के द्वारा प्रतिभूतियों का क्रय
(d) इनमें से सभी
Ans:- (a) बैंक दर में कमी
20. भारत में वित्तीय वर्ष की कालावधि होती है-
(a) 1 जनवरी से 31 दिसम्बर
(b) 1 जुलाई से 30 जून
(c) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(d) 1 अगस्त से 31 जुलाई
Ans:- (c) 1 अप्रैल से 31 मार्च
21. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व
(b) उत्पादन का उद्देश्य जन कल्याण
(c) सरकार का पूर्ण हस्तक्षेप
(d) श्रमिकों की सेवा का क्रय-विक्रय संभव नहीं
Ans:- (c) सरकार का पूर्ण हस्तक्षेप
22. मान लिया जाए एक देश में 2 लाख व्यक्ति रोजगार में संलग्न हैं तथा 10 हजार व्यक्ति कार्य करने को इच्छुक हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है तो देश में बेरोजगारी की दर क्या होगी?
(a) 2%
(b) 10%
(c) 5%
(d) 20%
Ans:- (a) 2%
23. मुद्रा के स्थैतिक और गत्यात्मक कार्यों का विभाजन किसने किया?
(a) रैग्नर फ्रिश
(b) पॉल एजिंग
(c) मार्शल
(d) इनमें से सभी
Ans:- (b) पॉल एजिंग
24. आय के वृत्ताकार प्रवाह माडल में विक्रेता से क्रेता की ओर वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह को क्या कहा जाता है?
(a) मौद्रिक प्रवाह
(b) वास्तविक प्रवाह
(c) वार्षिक प्रवाह
(d) स्टॉक
Ans:- (b) वास्तविक प्रवाह
25. मुद्रा ने दूर किया है-
(a) सामाजिक बुराइयों को
(b) आर्थिक बुराइयों को
(c) सरकार की समस्याओं को
(d) वस्तु-विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को
Ans:- (d) वस्तु-विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को
26. आय के संतुलन स्तर पर-
(a) बचत और निवेश बराबर होते है
(b) बचत निवेश से कम होती है
(c) बचत निवेश से अधिक होती है
(d) बचत का निवेश से कोई संबंध नहीं है
Ans:- (a) बचत और निवेश बराबर होते है
27. निम्नलिखित में से विनिमय का एक सर्वमान्य माध्यम कौन सा है?
(a) चेकबुक
(b) बंधपत्र
(c) डिमांड ड्राफ्ट
(d) मुद्रा
Ans:- (d) मुद्रा
28. पूर्णप्रतियोगी बाज़ार में फ़र्मों की संख्या होती है-
(a) 2
(b) 1
(c) अल्प
(d) अत्यधिक
Ans:- (d) अत्यधिक
29. निम्न में से समग्र माँग का एक घटक नहीं है-
(a) उपभोग व्यय
(b) निवेश व्यय
(c) निवल निर्यात
(d) वित्तीय परिसंपत्तियों पर व्यय
Ans:- (d) वित्तीय परिसंपत्तियों पर व्यय
30. विदेशी विनिमय दर क्या है?
(a) वस्तु की वस्तु में कीमत
(b) वस्तु की मुद्रा में कीमत
(c) मुद्रा की वस्तु में कीमत
(d) देशी मुद्रा की विदेशी मुद्रा में कीमत
Ans:- (d) देशी मुद्रा की विदेशी मुद्रा में कीमत
निम्नलिखित में से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1 घटिया या निम्न कोटि की वस्तु को परिभाषित करें।
Ans:- जब उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर वस्तु की मांग में कमी होती है तथा उपभोक्ता की आय में कमी होने पर वस्तु की मांग में वृद्धि होती है तो ऐसी वस्तु को घटिया वस्तु कहते हैं। उदाहरण-मोटा कपड़ा, मोटा अनाज आदि।
2 पूर्ण प्रतियोगिता में AR वक्र X-अक्ष के समानांतर क्यों होता है?
Ans:- पूर्ण प्रतियोगिता में प्रत्येक फर्म के लिए कीमत दी हुई होती है। अपनी इच्छा से फर्म कीमत में परिवर्तन नहीं कर सकती । अतः उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर कीमत समान रहती है। अतः पूर्णप्रतियोगिता के अंतर्गत फर्म का मांग वक्र (अथवा औसत आगम वक्र) OX- अक्ष के समांतर होता है।
3 तीन विभिन्न विधियों की सूची बनाइए जिनमें अल्पाधिकार फर्म व्यवहार कर सकता है।
Ans:- 1. एक दूसरे को सहयोग करती हैं तथा उनकी नीतियों का एक लिखित औपचारिक अनुबंध होता है। 2. एक दूसरे को सहयोग नहीं करती। 3. एक दूसरे का सहयोग करती हैं तथा औपचारिक रूप से जुड़ी रहती हैं।
4 व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट करें।
Ans:-
व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
1. इसका संबंध व्यक्तिगत आर्थिक इकाई से है। जैसे एक उपभोक्ता का अध्ययन, एक फर्म, एक उद्योग आदि। | 1. यह उन सिद्धांतों, समस्याओं तथा नीतियों का अध्ययन करता है जो पूर्ण रोजगार प्राप्त करने में सहायक होते हैं। |
2. इसके मुख्य उपकरण मांग तथा पूर्ति हैं। | 2. इसके मुख्य उकरण सामूहिक मांग, सामूहिक पूर्ति, सामूहिक बचत तथा निवेश आदी हैं। |
3. इसे कीमत-सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। | 3. इसे आय तथा रोजगार सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। |
4. इसके सिद्धांत तथा नियम के लिए पूर्ण रोजगार, पूर्ण प्रतियोगिता, सरकारी हस्तक्षेप की अनुपस्थिति दि मान्यताएं स्वीकार की जाती है। | 4. इसमें साधनों का आवंटन, आय का वितरण को दी हुई माना जाता है। |
5 सीमांत लागत और औसत लागत को परिभाषित कीजिए।
6 वैधानिक तरलता अनुपात क्या है?
Ans:- वैधानिक तरलता अनुपात के अंतर्गत प्रत्येक व्यापारिक बैंकों को अपनी कुल जमा का एक निश्चित प्रतिशत अपने पास तरल रूप में रखना पड़ता है।
7 उपभोग फलन किन चरों के बीच संबंध को व्यक्त करता है?
Ans:- उपभोग फलन, आय (Y) एवं उपभोग (C) (C) के बीच के संबंध को व्यक्त करता है। C = f(Y)
8 व्यापार शेष और चालु खाता शेष में अंतर बताएं।
निम्नलिखित में से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
9 संतुलन को परिभाषित करें। किस स्थिति में बाजार को संतुलन अवस्था में कहा जाता है?
Ans:- संतुलन उस स्थिति को कहते हैं जब किसी प्रकार के परिवर्तन होने की प्रवृत्ति नहीं होती। मांग तथा पूर्ति की दशा में किसी में न तो मांग में और न ही पूर्ति में परिवर्तन लाने की प्रवृत्ति होती है और न ही कीमत में परिवर्तन होने की प्रवृत्ति होती है। बाजार उस समय दशा में संतुलन अवस्था में होता है जब बाजार में कुल मांग कुल पूर्ति के बराबर होगी। संतुलन बाजार में शून्य आधिक्य मांग तथा शून्य आधिक्य पूर्ति की स्थिति होती है।
10 घटती सीमांत उपयोगिता के नियम की व्याख्या करें।
Ans:- घटती सीमांत उपयोगिता का नियम यह बताता है कि किसी एक दिए गए समय में जब उपभोक्ता किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाइयों का उपभोग करता है तो प्रत्येक अगली इकाई से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता घटती जाती है। इस नियम को गोसेन का प्रथम नियम भी कहते हैं। यह उपभोग का सार्वभौमिक नियम है।
मान्यताएं:-
i. वस्तु का उपभोग निरंतर होना चाहिए।
ii. वस्तु के उपभोग की इकाइयों का आकार बहुत छोटा या बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए।
iii. वस्तु की सभी इकाइयां समरूप हो।
iv. स्थानापन्न वस्तु का मूल्य स्थिर हो।
V. उपभोक्ता के रुचि एवं फैशन में कोई परिवर्तन ना हो।
vi. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन ना हो।
नियम का तालिका एवं रेखाचित्र द्वारा निरूपण-
11 बाजार संतुलन से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए।
12 सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित कीजिए। यह सकल राष्ट्रीय उत्पाद से किस प्रकार संबंधित है?
Ans:– सकल घरेलू उत्पाद (GDP) एक आर्थिक संकेतक है, जो एक विशेष अवधि (जैसे एक वर्ष या तिमाही) में एक देश के भीतर निर्मित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य बताता है। इसे देश की आर्थिक गतिविधियों का माप माना जाता है और यह बताता है कि एक देश की अर्थव्यवस्था कितनी उत्पादक है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) के बीच अंतर है:
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP): यह केवल उस देश की सीमाओं के भीतर होने वाली आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखता है। इसमें विदेशी कंपनियों द्वारा देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का भी समावेश होता है, लेकिन इसमें देश के नागरिकों और कंपनियों द्वारा विदेशों में की गई गतिविधियों का हिसाब नहीं किया जाता।
- सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP): यह देश के नागरिकों और कंपनियों द्वारा पूरी दुनिया में की गई आर्थिक गतिविधियों का माप है। इसमें देश के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर उत्पन्न वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य शामिल होता है।
13 संतुलन कीमत क्या है? रेखाचित्र बनाइएँ।
Ans:- संतुलन कीमत वह कीमत है जिस पर मांग तथा पूर्ति एक के बराबर होते हैं या जहां क्रेता की खरीद तथा विक्रेताओं की बिक्री एक-दूसरे के समान होती है। पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में संतुलन कीमत का निर्धारण मांग तथा पूर्ति की शक्तियों द्वारा होती है।
14 बाजार की परिभाषा दीजिए। उन चार तत्वों को लिखें जिनके आधार पर विभिन्न बाजारों को परिभाषित किया जाता है।
Ans:- साधारण भाषा में बाजार एक विशेष स्थान को संबोधित करता है जहां पर क्रेता तथा विक्रेता प्रत्यक्ष रूप में वस्तुएं खरीदने तथा बेचने के लिए मिलते हैं। किंतु, अर्थशास्त्र में बाजार किसी विशेष स्थान तक सीमित नहीं बल्कि उस संपूर्ण क्षेत्र में संबंध रखता है जहां क्रेता तथा विक्रेता आपस में मिलते हैं उनका यह संबंध भौतिक रूप में अथवा संचार के विभिन्न साधनों जैसे ईमेल, इंटरनेट, मध्यस्थों आदि हो सकता है।
बाजार को निम्नांकित चार तत्वों के आधार पर परिभाषित किया जाता है-
1. क्षेत्र (Area):- अर्थशास्त्र में बाजार उस सारे क्षेत्र से संबंध रखता है जहां क्रेता तथा विक्रेता एक दूसरे से भौतिक रूप में अथवा संचार के किसी साधन से संबंध स्थापित कर सकते हैं।
2. वस्तु (Commodity):- बाजार में किसी वस्तु का विनिमय होना आवश्यक है।
3. क्रेता तथा विक्रेता (Buyers and sellers):- बाजार एक वस्तु के क्रेता तथा विक्रेताओं को संबोधित करता है यदि इनमें से एक भी पक्ष की अनुपस्थिति हो तो इसे बाजार नहीं कहा जा सकता।
4. स्वतंत्र प्रतियोगिता (Free Competition):- बाजार में क्रेता तथा विक्रेताओं में स्वतंत्र प्रतियोगिता होनी चाहिए। इनमें जब वस्तु का विनिमय होता है तो एक कीमत निर्धारित होती है।
15 पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताएं क्या है?
Ans:- 1. उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है।
2. बाजार में निर्गत को बेचने के लिए ही उत्पादन किया जाता है।
3. श्रम सेवाओं का क्रय-विक्रय एक कीमत पर होता है। इस कीमत को मजदूरी दर कहा जाता है।
4. उत्पादन का एकमात्र उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है।
5. उत्पत्ति के साधनों पर जिन व्यक्तियों का अधिकार होता है वे सरकारी नियंत्रण से पूर्णतः मुक्त होते हैं।
16 चित्र के द्वारा वास्तविक प्रवाह तथा मौद्रिक प्रवाह में अंतर बताएं।
Ans:-
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
17 अधिमान वक्र से आप क्या समझते हैं? अधिमान वक्र की विशेषताओं को स्पष्ट करें।
Ans:- अधिमान वक्र यह दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। क्योंकि सभी संयोग समान संतुष्टि स्तर के होते हैं एक उपभोक्ता इन संयोगों के बीच तटस्थ होता है। अधिमान वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है तथा यह मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होते हैं क्योंकि MRS ऋणात्मक होता है।
मान्यताएं –
i. उपभोक्ता एक सामान्य व्यक्ति है जिसका उद्देश्य अपनी उपयोगिता को अधिकतम करना है।
ii. उपयोगिता क्रम वाचक है।
iii. उपभोक्ता की आय तथा X एवं Y वस्तु की कीमत स्थिर है।
iv. उपभोक्ता का अधिमान तथा वस्तु के लिए चाहत स्थिर है।
v. MRS ऋणात्मक होता है।
vi. IC वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होती है।
तालिका एवं रेखा चित्र द्वारा अधिमान वक्र की व्याख्या
हम जानते हैं की अधिक वस्तु से अधिक संतुष्टि प्राप्त होती है। रेखा चित्र में । C1 पर स्थित संयोग A की तुलना में IC 2 पर स्थित संयोग C में एक वस्तु या दोनों वस्तु की मात्रा अधिक होगी। इसलिए संयोग A की तुलना में संयोग C अधिक संतुष्टि प्रदान करेगा। अतः ऊंचा अधिमान वक्र ऊंची संतुष्टि प्रदान करता है।
ii. अधिमान वक्र नीचे की ओर झुका होता है अथार्त अधिमान वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है।
। वक्र की एक मान्यता है कि सीमांत प्रतिस्थापन की दर (MRS) घटती हुई होती है। रेखाचित्र। तथा। में यह क्रमशः स्थिर एवं बढ़ता हुआ है तथा रेखाचित्र ।।। में घटता हुआ है। अतः अधिमान वक्र मूल बिंदु की ओर उन्नतोदर होता है।
iv. अधिमान वक्र एक दूसरे को ना तो स्पर्श करते हैं और ना काटते हैं।
अधिमान वक्र की यह मान्यता है की अधिक ऊंचा अधिमान वक्र अधिक संतुष्टि को प्रदान करता है। ऊपर के रेखा चित्र में संयोग A तथा C. अधिमान वक्र IC1 पर स्थित हैं जिससे संतुष्टि स्तर 1 प्राप्त हो रहा है। अधिमान वक्र IC2 पर स्थित संयोग B तथा C हैं जिससे संतुष्टि स्तर 2 प्राप्त हो रहा है। संयोग ८ पर दोनों वक्र एक दुसरे को स्पर्श करते है जहा दोनों ही संतुष्टि स्तर प्राप्त हो रहा है जो कि संभव नहीं है। अतः दो अधिमान वक्र एक दूसरे को ना तो स्पर्श कर सकते हैं और ना काट सकते हैं।
18 एक फर्म की कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्ती लागत तथा कुल लागत क्या है, वे किस प्रकार संबंधित हैं?
Ans:- अल्पकाल में दो प्रकार की उत्पादन लागतें सम्मिलित होती हैं -स्थिर लागतें तथा परिवर्तनशील लागतें। कुल स्थिर लागत (TFC)
अल्पकाल में उत्पादन के कुछ साधनों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता, अतः वे स्थिर रहते हैं। एक फर्म जो स्थिर लागतों का वहन करती है, है, उन्हें कुल स्थिर लागत कहा जाता है। कुल स्थिर लागत उत्पादन के आकार से अप्रभावित रहती है। उत्पादन-स्तर शून्य होने पर भी फर्म को स्थिर लागतों का भुगतान वहन करना पड़ता है।
कुल परिवर्ती लागत (TVC)-
कुल परिवर्तनशील लागत का आकार उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे उत्पादन के आकार में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे परिवर्तनशील लागतों में भी वृद्धि होती जोती है। शून्य उत्पादन स्तर पर परिवर्तनशील लागतं शून्य होती है। अतः TVC रेखा का आरंभिक बिंदु, मूल बिंदु होता है।
कुल लागत (TC)-
एक फर्म की कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) को सम्मिलित करने पर कुल लॉगत प्राप्त होती है। अर्थात्,
कुल लागत = कुल स्थिर लागत कुल परिवर्तनशील लागत या. TC = TFC+TVC
कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्तनशील लागत तथा कुल लागत के बौच संबंध- TFC, TVC तथा TC के बीच संबंध को निम्नांकित
रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है-
चित्र से स्पष्ट है कि TFC तथा TVC रेखाओं को जोड़कर कुल लागत (TC) की रेखा प्राप्त की गई है। उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर यदि TFC और TVC को जोड़ दिया जाये ये तो हमें TC रेखा प्राप्त होती है। जहाँ से TFC रेखा निकलती है, TC रेखा का आरंभिक बिंदु है। शून्य उत्पादन स्तर पर TVC शून्य होने के कारण TC सदैव TFC के बराबर होती है। TFC हमेशा स्थिर होती है और TC और TVC रेखायें परस्पर समांतर रूप से आगे बढ़ती है क्योंकि TC और TVC का अंतर TFC को बतलाता है। अर्थात् TFC = TC-TVC या, TVC=TC-TFC इस प्रकार, एक फर्म के लिए कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्ती लागत का जोड़ होती है।
19 बाजार कीमत एवं सामान्य कीमत में अंतर कीजिए।
20 GDP से राष्ट्रीय आय की गणना आप कैसे करेंगे? व्याख्या कीजिए।
Ans:- जीडीपी एक देश के घरेलू सीमा के अंदर, एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों चाहे वे देश के निवासी हो या गैर निवासी के द्वारा जितनी भी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके बाजार कीमत के योग को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कहा जाता है।
राष्ट्रीय आय – एक देश के घरेलू सीमा के अंदर एक लेखा वर्ष में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य (साधन कीमत पर) तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है।
जीडीपी की सहायता से राष्ट्रीय आय की गणना तीन विधियों से हो सकती है-गणना
A) आय विधि –
जीडीपी = कर्मचारियों का पारिश्रमिक परिचालन अधिशेष + स्व- नियोजितों की आय घिसावट शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
राष्ट्रीय आय = जीडीपी (NFIA) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
B) उत्पाद विधि –
जीडीपी = बाजार कीमत पर प्राथमिक क्षेत्र का सकल मूल्यवृद्धि + द्वितीय क्षेत्र का सकल मूल्य वृद्धि तृतीय क्षेत्र का सकल मूल्य वृद्धि
राष्ट्रीय आय जीडीपी विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA) – घिसावट व्यय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
C) व्यय विधि –
जीडीपी = निजी अंतिम उपभोग व्यय सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण शुद्ध निर्यात
राष्ट्रीय आय = जीडीपी विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFIA) – घिसावट व्यय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
इस प्रकार, राष्ट्रीय आय की गणना में जीडीपी एक महत्वपूर्ण पक्ष है।
21 जब स्वायत्य निवेश और उपभोग व्यय (A) 50 करोड़ हो और सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPC) 0.2 तथा आय का स्तर रु. 4000 हो तो प्रत्याशित समग्र मांग ज्ञात करें? यह भी बताएं कि अर्थव्यवस्था संतुलन में है या नहीं?
22 मुद्रा क्या है? मुद्रा के कार्यों का वर्णन करें?
Ans:- मुद्रा ऐसी वस्तु है जिसे विनिमय के माध्यम, मूल्य के मापक तथा मूल्य के संचय के साधन के रूप में स्वतंत्र एवं सामान्य रूप से स्वीकार किया जाता है।
हार्टले विदर्स के अनुसार, “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे।”
नैप के अनुसार, “कोई भी वस्तु जो राज्य द्वारा मुद्रा घोषित कर दी जाती है मुद्रा कहलाती है।”
(I) मुख्य कार्य-
(1) विनिमय का माध्यम मुद्रा ने विनमय के कार्य को सरल और सुविधा पूर्ण बना दिया है। वर्तमान युग में सभी वस्तुएं और सेवाएं मुद्रा के माध्यम से ही खरीदी तथा बेची जाती हैं।
(2) मूल्य का मापक मुद्रा का कार्य सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्यांकन करना है। वर्तमान समय में सभी वस्तुओं और सेवाओं को मुद्रा के द्वारा मापा जाता है।
(II) गौण कार्य –
(1) विलंबित भुगतान का माप जिन लेन-देनों का भुगतान तत्काल न कर के भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जाता है, उन्हें स्थगित भुगतान कहा जाता है। मुद्रा को स्थगित भुगतानों का मान इसलिए माना गया है क्योंकि मुद्रा के मूल्य में स्थिरता रहती है, इसमें सामान्य स्वीकृति का गुण पाया जाता है, अन्य वस्तुओं की तुलना में यह अधिक टिकाऊ है।
(2) मूल्य का संचय मनुष्य अपनी आय का कुछ भाग भविष्य के लिए अवश्य बचाता है। मुद्रा के प्रयोग द्वारा मूल्य संचय का कार्य सरल और सुविधा पूर्ण हो गया है।
(3) मूल्य का हस्तांतरण मुद्रा क्रय शक्ति के हस्तांतरण का
सर्वोत्तम साधन है। इसका कारण मुद्रा का सर्वग्राही और व्यापक होना है। मुद्रा के द्वारा चल व अचल संपत्ति का हस्तांतरण सरलता से हो सकता है।
(III) आकस्मिक कार्य –
(1) सामाजिक आय का वितरण मुद्रा सामाजिक आय के वितरण में सहायता प्रदान करती है। किसी देश में उत्पादन
के विभिन्न साधनों के सहयोग से जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उनके कुल योग को राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश कहते हैं। इसी राष्ट्रीय आय का वितरण उत्पादन के साधनों के बीच किया जाता है और इसके लिए मुद्रा सहायक होती है।
(2) साख का आधार वर्तमान समय में चेक, ड्राफ्ट, बिल आदि साख पत्रों का प्रयोग मुद्रा के समान ही होने लगा है। लेकिन इन साख पत्रों को मुद्रा के आधार पर ही जारी किया जाता है। बैंक जब इन साख पत्रों को जारी करता है तो इस साख-मुद्रा के पीछे अपने पास एक निश्चित अनुपात में नकद मुद्रा रख लेता है ताकि मांग होने पर साख मुद्रा को नकद मुद्रा में बदला जा सके।
(3) पूँजी या संपत्ति को सामान्य रूप प्रदान करना पूंजी का निर्माण बचत पर निर्भर करता है और यह बचत मुद्रा के रूप में ही की जाती हैं। मुद्रा के द्वारा पूंजी में तरलता और गतिशीलता आती हैं जिससे पूंजी की विनियोग में सुविधा होती है। इस प्रकार मुद्रा पूंजी को सामान्य रूप देकर पूंजी के संचय एवं विनियोग दोनों को सरल बना देती है।
(4) सीमांत उपयोगिता तथा सीमांत उत्पादकता में समानता लाना-मुद्रा से उपभोक्ता एवं उत्पादक दोनों को लाभ है। अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता को अपनी आय को विभिन्न मदों पर इस प्रकार खर्च करना चाहिए कि उसे सभी मदों से बराबर सीमांत उपयोगिता प्राप्त हो, इस कार्य में मुद्रा ही सहायक होती है। पुनः उत्पादक के लिए विभिन्न साधनों से। मिलने वाली सीमांत उत्पादकता को समान बनाने में मुद्रा सहायक होते है। जिससे अधिकतम उत्पादन एवं अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।
(5) शोधन-क्षमता की गारंटी मुद्रा के द्वारा किसी व्यक्ति या फर्म को ऋण भुगतान करने की क्षमता या शोधन क्षमता प्राप्त होती है। अतः प्रत्येक फर्म अपनी शोधन क्षमता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में अपने पास मुद्रा रखता है।
(6) संपत्ति की तरलता मुद्रा संपत्ति को तरलता प्रदान करती है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी संपत्ति के कुछ भाग को तरल रूप में रखना पसंद करता है और यह तरलता नकद मुद्रा का ही दूसरा नाम है।
(7) निर्णय का वाहक प्रो० ग्राहम के अनुसार मुद्रा निर्णय का वाहक होती है। मुद्रा के रूप में भविष्य के लिए क्रय- शक्ति का संचय किया जाता है ताकि लोग अपनी भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह अपनी इच्छा एवं निर्णय के अनुसार भविष्य में अपने संचित धन का प्रयोग करे।
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